• Friday, September 12, 2025

Chak Chumban

"चाक चुम्बन" संतोष सिंह राख की कविताओं का संग्रह है, जो समाज, तंत्र और आम जन की पीड़ा को सरल, आक्रोशित और सशक्त शब्दों में बयां करता है।
on Sep 24, 2025
चाक चुम्बन

"चाक चुम्बन" zorba publications से प्रकाशित संतोष सिंह राख के द्वारा रचित उनकी दूसरी काव्य संग्रह है। इससे पहले उन्होंने " एक मुट्ठी राख" काव्य संग्रह की रचना कर रखी है। लेखक भूतपूर्व नौसैनिक एवं वर्तमान में यूको बैंक खगौल शाखा पटना में कार्यरत हैं।

इनकी रचनाएं समाज व तंत्र के बीमारू व्यवस्था के खिलाफ पुरजोर आवाज उठाती है और पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति की त्रासदी को दर्शाती है। आम जन-मानस की खुरचन की छाप छोड़ती राख़ की कविता बेहद ही आक्रोशित परन्तु सहज है। किताब की भाषा सरल और सपाट है। इनकी कविता सड़क की बात करती है। फुटपाथ की बात करती है। जंग में गए सिपाहियों की बात करती है। स्त्री की अभिव्यक्ति और उसकी उन्मुक्तता की बात करती है। सिस्टम की नाकामी के साथ साथ उसकी निरंकुशता की भी बात करती है। नागरिक, किसान, खेतिहर, मजदूर एवम् विद्यार्थियों की बात करती है। कुल मिलाकर सामाजिक मूल्यों एवम् मुद्दों की बात करती है किताब "चाक चुम्बन" ।

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